सोमवार, 1 जून 2020

राहू का विशेष योग और फल

🚩🌺🌺 जय माई की 🌺🌺🚩
राहू के साथ युति के कुछ विशेष प्रभावी योग

👉 यदि मेष वृष या कर्क राशि का राहु तीसरे छठे अथवा ग्यारहवें भाव में हो तो यह राहु अनेक तो फलों का नाश करेगा।

👉 यदि केंद्र में राहु, त्रिकोण, 1,4,7,10,5,9वे भाव में हो और केंद्रेश या त्रिकोणेश से संबंध रखता हो तो यह राजयोग प्रदान कर देता है।

👉 यदि दसवें भाव में राहु हो तो यह राहु नेतृत्व शक्ति प्रदान करता है।

👉यदि सूर्य चंद्र के साथ राहु हो तो यह राहु इन की शक्ति को कम करता है।

👉जिस जातिका के पंचम भाव में राहु होता है उस जातिका का मासिक धर्म अनियमित होता है जिस कारण से जातिका को संतान होने में परेशानी हो सकती है।

👉यदि पंचम भाव में राहु शुक्र की युति हो तो वह जातिका योन रोग अथवा प्रसव रोगों से ग्रसित होती है।

👉यदि पंचम भाव में कर्क वृश्चिक व मीन राशि हो और राहु शुक्र की युति उसमें हो तो जातिका प्रेम जाल में फंस जाती है।

👉 यदि राहु के साथ शनि और सूर्य का प्रभाव सप्तम भाव से संबंध घटकों पर हो तो अशुभ फलों में और तेजी आ जाती है।

👉 यदि किसी कुंडली में राहु शनि की युति हो तो शनि का प्रभाव दोगुना हो जाता है।

👉यदि अष्टम भाव में मेष कर्क वृश्चिक या मीन राशि हो और उसमें राहु स्थित हो तो जातिका की शल्यक्रिया अवश्य होती है।

👉 सप्तम भाव में राहु शनि तथा मंगल की युति हो तो दांपत्य का जीवन कष्टमय होता है।

👉 यदि अष्टम भाव में शनि राहु वह मंगल हो तो उस जातक के 90 परसेंट तलाक की संभावना होती है अथवा जीवन भर मतभेद रहते हैं।

👉 यदि मेष या वृश्चिक राशि में आठवें भाव में या दूसरे भाव में राहु पाप ग्रह से युक्त अथवा दृष्ट हो तो मनुष्य का जीवन कस्टमय होता है।

👉 यदि पंचम भाव में राहु मेष या वृश्चिक राशि का हो या मंगल की दृष्टि हो तो उस मनुष्य की संतान की हानि होती है।

👉 यदि राहु गुरु की युति हो तो जातिका का एक बार गर्भपात होता है।

👉 सप्तम भाव में स्थित राहु मनुष्य के जीवन को कस्टमय कर देता है।

👉 यदि दूसरे भाव में धनु राशि का राहु हो तो जातिका धनवान हो जाती है।

👉 ग्यारहवें भाव में राहु शुक्र की युति हो तो जातक का दांपत्य जीवन बहुत दुखी होता है।

👉 यदि शुक्र अथवा गुरु की राहु पर दृष्टि हो तो जातक का अंतर जातीय एवं प्रेम विवाह करती है।

👉 यदि दूसरे भाव में राहु हो तो उस जातिका का विवाह बहुत ही कठिनाई से होता है।

👉 यदि आठवें भाव में या ग्यारहवें भाव में राहु हो तो जातिका का विवाह तो हो जाता है किंतु दांपत्य जीवन कष्टप्रद होता है अथवा अलगाव या तलाक की आशंका अधिक होती है।

👉 राहु की दृष्टि सप्तम भाव सप्तमेश मंगलवार शुक्र पर हो तो ऐसी जातिका अंतरजातीय विवाह करती है।

राहु से युति मैं दांपत्य जीवन का रहस्य बतलाया है।

आचार्य मनोज तिवारी
सहसेपुर खमरिया भदोही
9005618107

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