सोमवार, 15 जून 2020

मंत्र शक्ति एवं विविध मंत्र जप नियम एवं विधि

💯✔ मन्त्र शक्ती

देवताओं के मंत्रों में अपार शक्ति हैं । कई मंत्र ऐसे होते जिनके जपने से हमारे संकट दूर हो जाते हैं। आइए जानें अलग अलग देवताओं के अलग अलग मंत्रों के बारे में। धर्मग्रंथों के अनुसार ताकत, सफलता व इच्छाएं पूरी करने के लिए इष्टसिद्धि बहुत आवश्यक है इष्टसिद्धि का मतलब है कि व्यक्ति जिस देव शक्ति के लिए श्रद्धा और आस्था मन में बना लेता है, उस देवता से जुड़ी सभी शक्तियां, प्रभाव और चीजें उसे मिलने लगती हैं।

इष्टसिद्धि मे मां गायत्री का ध्यान बहुत शुभ होता है। गायत्री उपासना के लिए गायत्री मंत्र बहुत ही चमत्कारी और शक्तिशाली माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक इस मंत्र के 24 अक्षर 24 महाशक्तियों के प्रतीक हैं। एक गायत्री के महामंत्र द्वारा इन देवशक्तियों का स्मरण हो जाता है।

24 देव शक्तियों के ऐसे 24 चमत्कारी गायत्री मंत्र मे से, जो देवी-देवता आपके इष्ट है, उनका विशेष देव गायत्री मंत्र बोलने से चमत्कारी फल प्राप्त होगा। शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व भौतिक शक्तियों की प्राप्ति के लिए गायत्री उपासना सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। गायत्री ही वह शक्ति है जो पूरी

सृष्टि की रचना, स्थिति या पालन और संहार का कारण है। वेदों में गायत्री शक्ति ही प्राण, आयु, शक्ति, तेज, कीर्ति और धन देने वाली मानी गई है। गायत्री मंत्र को महामन्त्र पुकारा जाता है, जो शरीर की कई शक्तियों को जाग्रत करता है।

इष्टसिद्धी से मनचाहा काम बनाने के लिए गायत्री मंत्र के 24 अक्षरो के हर देवता विशेष के मंत्रों का स्मरण करें।

श्रीगणेश – मुश्किल कामों में कामयाबी, रुकावटों को दूर करने, बुद्धि लाभ के लिए इस गणेश गायत्री मंत्र का स्मरण करना चाहिए –

ॐ एकदृंष्ट्राय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्।

नृसिंह – शत्रु को हराने, बहादुरी, भय व दहशत दूर करने, पुरुषार्थी बनने व किसी भी आक्रमण से बचने के लिए नृसिंह गायत्री असरदार साबित होता है –

ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह प्रचोदयात्।

विष्णु – पालन-पोषण की क्षमता व काबिलियत बढ़ाने या किसी भी तरह से सबल बनने के लिए विष्णु गायत्री का महत्व है –

नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।

शिव – दायित्वों व कर्तव्यों को लेकर दृढ़ बनने, अमंगल का नाश व शुभता को बढ़ाने के लिए शिव गायत्री मंत्र बड़ा ही प्रभावी माना गया है –

ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

कृष्ण – सक्रियता, समर्पण, निस्वार्थ व मोह से दूर रहकर काम करने, खूबसूरती व सरल स्वभाव की चाहत कृष्ण गायत्री मंत्र पूरी करता है –

ॐ देवकीनन्दाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्।

राधा – प्रेम भाव को बढ़ाने व द्वेष या घृणा को दूर रखने के लिए राधा गायत्री मंत्र का स्मरण बढ़ा ही लाभ देता है

ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्।

लक्ष्मी – रुतबा, पैसा, पद, यश व भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत लक्ष्मी गायत्री मंत्र शीघ्र पूरी कर देता है –

ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।

अग्रि – ताकत बढ़ाने, प्रभावशाल व होनहार बनने के लिए अग्निदेव का स्मरण अग्नि गायत्री मंत्र से करना शुभ होता है-

ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।

इन्द्र – संयम के जरिए बीमारियों, हिंसा के भाव रोकने व भूत-प्रेत या अनिष्ट से रक्षा में इन्द्र गायत्री मंत्र प्रभावी माना गया है –

ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्।

सरस्वती – बुद्धि व विवेक, दूरदर्शिता, चतुराई से सफलता मां सरस्वती गायत्री मंत्र से फौरन मिलती है –

ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।

दुर्गा – विघ्नों के नाश, दुर्जनों व शत्रुओं को मात व अहंकार के नाश के लिए दु्र्गा गायत्री मंत्र का महत्व है-

ॐ गिरिजायै विद्महे शिव धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

हनुमानजी – निष्ठावान, भरोसेमंद, संयमी, शक्तिशाली, निडर व दृढ़ संकल्पित होने के लिए हनुमान गायत्री मंत्र का अचूक माना गया है –

ॐ अञ्जनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुतिः प्रचोदयात्।

पृथ्वी – पृथ्वी गायत्री मंत्र सहनशील बनाने वाला, इरादों को मजबूत करने वाला व क्षमाभाव बढ़ाने वाला होता है –

ॐ पृथ्वी देव्यै विद्महे सहस्त्र मूर्त्यै धीमहि तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्।

सूर्य – निरोगी बनने, लंबी आयु, तरक्की व दोषों का शमन करने के लिए सूर्य गायत्री मंत्र प्रभावी माना गया है –

ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य्यः प्रचोदयात्।

राम – धर्म पालन, मर्यादा, स्वभाव में विनम्रता, मैत्री भाव की चाहत राम गायत्री मंत्र से पूरी होती है –

ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।

सीता – सीता गायत्री मंत्र मन, वचन व कर्म से विकारों को दूर कर पवित्र करता है। साथ ही स्वभाव मे भी मिठास घोलता है –

ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात्।

चन्द्रमा – काम, क्रोध, लोभ, मोह, निराशा व शोक को दूर कर शांति व सुख की चाहत चन्द्र गायत्री मंत्र से पूरी होती है –

ॐ क्षीरपुत्रायै विद्महे अमृततत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्।

यम – मृत्यु सहित हर भय से छुटकारा, वक्त को अनुकूल बनाने व आलस्य दूर करने के लिए यम गायत्री मंत्र असरदार होता है –

ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यमः प्रचोदयात्।

ब्रह्मा – किसी भी रूप में सृजन शक्ति व रचनात्कमता बढ़ाने के लिए ब्रह्मा गायत्री मंत्र मंगलकारी होता है –

ॐ चतु्र्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

वरुण – दया, करुणा, कला, प्रसन्नता, सौंदर्य व भावुकता की कामना वरुण गायत्री मंत्र पूरी करता है –

ॐ जलबिम्बाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

नारायण – चरित्रवान बनने, महत्वकांक्षा पूरी करने, अनूठी खूबियां पैदा करने व प्रेरणास्त्रोत बनने के लिए नारायण गायत्री मंत्र शुभ होता है –

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायणः प्रचोदयात्।

हयग्रीव – मुसीबतों को पछाड़ने, बुरे वक्त को टालने, साहसी बनने, उत्साह बढ़ाने व मेहनती बनने के कामना ह्यग्रीव गायत्री मंत्र पूरी करता है –

ॐ वाणीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीवः प्रचोदयात्।

हंस – यश, कीर्ति पाने के साथ संतोष व विवेक शक्ति जगाने के लिए हंस गायत्री मंत्र असरदार होता है –

ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात्।

तुलसी – सेवा भावना, सच्चाई को अपनाने, सुखद दाम्पत्य, शांति व परोपकारी बनने की चाहत तुलसी गायत्री मंत्र पूरी करता है –

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे विष्णु प्रियायै धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

ये देवशक्तियां जाग्रत, आत्मिक और भौतिक शक्तियों से संपन्न मानी गई है। इष्टसिद्धि के नजरिए से मात्र एक मंत्र से ही 24 देवताओं का इष्ट और उनसे जुड़ी शक्ति पाना साधक को सिद्ध बना देता

किसी भी सोमवार से पुर्व दिशा मे मुख करके मंत्र का 1 माला जाप रुद्राक्ष के माला से 21 दिनो तक करें। आसन-वस्त्र-समय को कोइ बंधन नही है। मंत्र जाप से पुर्व गुरु और गणेश स्मरण अवश्य करे,साथ मे हो सके तो "ॐ नमः शिवाय" का भी जाप करें और शिवलिंग का पुजन भी किया करे।
शम्भुनाथ शाबर मंत्र:-

।। ॐ नमो आदेश गुरु को,शम्भूनाथ कैलाश पर्वत पर रहेने वाले,पुरब से आवो पच्छिम से आवो उत्तर से आवो दक्षिण से आवो,आवो बाबा शम्भूनाथ मेरा कारज सिद्ध करो,दुहाई पार्वती माई की सब्द साचा पिंड काचा स्फुरो मंत्र इस्वरि वाचा आतम भाव साचा

इस मंत्र के जाप से कोई भी कार्य शिघ्र पुर्ण होता है। प्रत्येक मनोकामना पुर्ण होता है। सभी प्रकार के विद्या मे सफलता प्राप्त होता है। शिवजी के स्वप्न मे दर्शन भी प्राप्त हो सकते है। शिवप्रसाद प्राप्त होता है एवं किसी भी इतर योनी (भुत-प्रेत-यक्षिणी....इत्यादि) को इस मंत्र के सिद्धि से आकर्षित किया जा सकता है।

दुश्मनों से छुटकारा पाने के लिए करें काली की उपासना
मां काली की उपासना शत्रु और विरोधी को शांत करने के लिए करनी चाहिए किसी के मृत्यु के लिए नहीं.

आप विरोधी या किसी शत्रु से परेशान हैं तो उस समस्या से बचने के यह उपाय हैं -

आपके शत्रु अगर आपको परेशान करते हों तो आप लाल कपड़े पहनकर लाल आसन पर बैठें मां काली के समक्ष दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं.

मां को प्रसाद में पेड़े और लौंग चढ़ाएं. इसके
बाद 'ॐ क्रीं कालिकायै नमः' का 11 माला जाप करके, शत्रु और मुकदमे से मुक्ति की प्रार्थना करें. आसन से उठने के पहले एक नींबू अवश्य काटे । कपूर भी जलावे
यह अर्चना लगातार 41 रातों तक करें.
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💯✔ भैरव साबर मन्त्र और शिव शावर मन्त्र वशीकरण मंत्र

ॐ गुरु जी सत नाम आदेश आदि पुरुष को !
काला भैरूं, गोरा भैरूं, भैरूं रंग बिरंगा !!
शिव गौरां को जब जब ध्याऊं, भैरूं आवे पास
पूरण होय मनसा वाचा पूरण होय आस
लक्ष्मी ल्यावे घर आंगन में,
जिव्हा विराजे सुर की देवी ,खोल घडा दे दड़ा !!
काला भैरूं खप्पर राखे,गौरा झांझर पांव
लाल भैरूं,पीला भैरूं,पगां लगावे गाँव
दशों दिशाओं में पञ्च पञ्च भैरूं !!
पहरा लगावे आप !दोनों भैरूं मेरे संग में चालें
बम बम करते जाप !! बावन भैरव मेरे सहाय हो
गुरु रूप से ,धर्म रूप से,सत्य रूप से, मर्यादा रूप से,
देव रूप से, शंकर रूप से, माता पिता रूप से,
लक्ष्मी रूप से,सम्मान सिद्धि रूप से,
स्व कल्याण जन कल्याण हेतु सहाय हो,
श्री शिव गौरां पुत्र भैरव !!
शब्द सांचा पिंड कांचा  चलो मंत्र ईश्वरो वाचा !!  

सिद्धि की द्रष्टि से इस मन्त्र का विधि विधान अलग है, परन्तु साधारण रूप में मात्र 11 बार रोज जपने की आज्ञा है ! श्री शिव पुत्र भैरव आपकी सहायत करेंगे !चार लड्डू बूंदी के ,मन्त्र बोलकर 7  रविवार को काले कुत्ते को खिलाएं

शक्तिशाली सिद्ध शाबर मंत्र और सुलेमानी शाबर मंत्र  को स्वयंसिद्धि मन्त्र के नाम से भी पुकारा जाता है यह मन्त्र अत्यन्त शक्तिशाली एवं अचूक है. अगर आप को लग रहा है की आप के दूकान अथवा घर आदि में किसी ने टोटका आदि कर रखा है अथवा घर में कोई व्यक्ति ज्यादा बीमार है, निर्धनता आपका पीछा नहीं छोड़ती, या कोई कार्य बनते बनते बिगड़ जाता हो

अथवा कोई तांत्रिक क्रिया द्वारा आपको बार बार परेशान कर रहा हो तो इन सब कष्टों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए शाबर मन्त्र को सबसे सिद्ध एवं प्रभावकारी माना गया है.

शाबर मन्त्र अन्य शास्त्रीय मंत्रो के भाँति उच्चारण में कठिन नहीं होते है, तथा इस अचूक मन्त्र को कोई भी बड़े आसनी प्रयोग कर अपने कायो को सिद्ध कर सकता है.

इन मंत्रो को थोड़े से जाप द्वारा सिद्ध किया जा सकता है तथा यह मन्त्र शीघ्र प्रभाव डालते है. इन मंत्रो का जो प्रभाव होता वह स्थायी है तथा शक्तिशाली हनुमान मन्त्र का कोई भी दुसरा काट नहीं है.

शाबर मंत्रो के सरल भाषा में होने के कारण इनका प्रयोग बहुत ही आसान है कोई भी इन्हे सुगमता से प्रयोग कर सकता है. यह मन्त्र दूसरे दुष्प्रभावी मंत्रो के काट में सहायक है.

शाबर मन्त्र के प्रयोग से प्रत्येक समस्या का निराकरण सहज ही जाता है. इस मन्त्र का प्रयोग कर व्यक्ति अपने परिवार, मित्र, संबंधी आदि की समस्याओं का निवारण करने में सक्षम है.

वैदिक, पौराणिक एवम् तांत्रिक मंत्रों के समान ‘शाबर-मंत्र’ भी अनादि हैं. सभी मंत्रों के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शंकर ही हैं, परंतु शाबर मंत्रों के प्रवर्तक भगवान शंकर प्रत्यक्षतया नहीं हैं, फिर भी इन मंत्रों का आविष्कार जिन्होंने किया वे परम शिव भक्त थे.

गुरु गोरखनाथ तथा गुरु मछन्दर नाथ शबरतंत्र के जनक माने जाते है. अपने साधन, जप-तप एवं सिद्धियो के प्रभाव से उन्होंने वह स्थान प्राप्त कर लिया जिसकी मनोकामना बड़े-बड़े तपस्वी एवं ऋषि मुनि करते है.
शाबर मंत्रो में ”आन शाप” तथा ”श्रद्धा और धमकी” दोनों का प्रयोग किया जाता है. साधक याचक होते हुए भी देवता को सब कुछ कहने का सामर्थ्य रखता है व उसी से सब कुछ करना चाहता है.
विशेष बात यह है कि उसकी यह ‘आन’ भी फलदायी होती है. आन का अर्थ है सौगन्ध. अभी वह युग गए अधिक समय नहीं बीता है, जब सौगन्ध का प्रभाव आश्चर्यजनक व अमोघ हुआ करता था.

शाबर मंत्रो में गुजराती, तम्मिल, कन्नड़ आदि भाषाओं का मिश्रण है. वैसे समान्यतः अधिकतर शाबर मन्त्र हिंदी में ही मिलते है.
प्रत्येक शाबर मंत्र अपने आप में पूर्ण होता है. उपदेष्टा ‘ऋषि’ के रूप में गोरखनाथ, सुलेमान जैसे सिद्ध पुरूष हैं. कई मंत्रों में इनके नाम का प्रवाह प्रत्यक्ष रूप से तो कहीं केवल गुरु नाम से ही कार्य बन जाता है.
इन मंत्रों में विनियोग, न्यास, तर्पण, हवन, मार्जन, शोधन आदि जटिल विधियों की कोई आवश्यकता नहीं होती. फिर भी वशीकरण, सम्मोहन, उच्चाटन आदि सहकर्मों, रोग-निवारण तथा प्रेत-बाधा शांति हेतु जहां शास्त्रीय प्रयोग कोई फल तुरंत या विश्वसनीय रूप में नहीं दे पाते, वहां ‘शाबर-मंत्र’ तुरंत, विश्वसनीय, अच्छा और पूरा काम करते हैं.

अब हम आपको सिद्ध शाबर मन्त्र के प्रयोग के बारे में बताए तथा इससे जुडी कुछ विशेष तथा ध्यान रखने वाली बातो के विषय में बताए.
शक्तिशाली शाबर मंत्र पहले से ही शक्तियों से परिपूर्ण और सिद्ध होते हैं.

सिद्ध शाबर मंत्र :-

”ॐ शिव गुरु गोरखनाथाय नमः !”

शाबर मंत्र के महत्त्वपूर्ण तथ्य :-

* किसी भी आयु, जाति और वर्ण के पुरुष या स्त्रियां इस मंत्र का प्रयोग कर सकते है.

* इन मंत्रों की साधना के लिए गुरु की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण नहीं होती है.

* षट्कर्म की साधना को करने के लिए गुरु की राय अवश्य लेनी चाहिए.

* मंत्र के जाप के लिए लाल या सफेद आसन बिछाकर उस पर बैठना चाहिए.

* शाबर मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ ही करना चाहिए.

विकटमुखी वशिकरण मंत्र

यह मंत्र अद्भुत है स्वयं सिद्ध है आप सिद्ध करने कि जरुरत नही सिधे प्रयग मे लाय। प्रतिदिन इस मत्र से अन्न के सात ग्रास अभिमत्रित कर साध्य के रुप. नाम चिँनता कर भोजन करे वो साध्य आपके वश मेँ होगा। इसमे सदेह करने का कई कारण नही है।लेकिन आप कुछ दिन तक आगर पाँच माल जाप कर यह प्रयग करे तो लाभ दोगुना होगा मंत्र-ॐ नमः कट् विकट घोररुपिणी स्वाहा

सर्वजन वशिकरण
यह एक भुत डामर तंत्र का सिद्ध वशीकरण प्रयोग हैं! इस मंत्र से आप अपनी माता ,पिता,भाई,बहन ,रिश्तेदार या किसी का भी वशीकरण कर सकतें हैं! इस मंत्र को सिर्फ ५०० बार रुद्राक्ष की माला से पूर्व या उत्तर दिशा में लाल रंग के आसन पर बैठकर जपने से आप किसी को भी अपने वशीभूत बना सकतें है!इसे सिर्फ ५०० बार जिसका ध्यान कर या जिसकी तस्वीर के सामने जपा जायेगा वे आपके वशीभूत होगा! जब तक काम ना बने जपते रहिये। दुसरा प्रयग- मन हि मन मेँ जाप करे और ध्यान करे जिसको आप वशिकरण करना चाहते हे वो आपका वश मेँ होगी या होगा। यह सिद्ध है आलग से सिद्ध करने कि जरुरत नही सिधा प्रयग मेँ लाय। मंत्र-म्रोँ ड़ोँ

चिँतन

आगर आप को कहा जाय कि आप हवा मेँ उड साकते है, पानी पर चाल साकते है, कुछ भी कर साकते है, आप कहगे पागल है, ऐसा होता है किया?? मेँ (मनोज तिवारी) कहुगा तो पागल लेकिन कोई विदेसि कहेगा तो शाच है। आज हम हिप्नाटिज्म को जानते है, विदेश मेँ वह एक टाईमपास खेल है, लेकिन हम डरते है।भारत मेँ ईसको वशिकरण विद्या कहाजाता है।वशिकरण नाम मात्र से लौग भागने लागते है,किया ए भयकंर है,मेरा मानना है नही।आप एक नजर से देखते है,ईस लिय आप को ए भयकंर विद्या लागता है,दुसरी नजर से देखगे तो आपको ए हाथ का खेलना लागेगा।आज वशिकरण वादल कर हिप्नाटिज्म वान गया है। विना मंत्र के आज ए विद्या काम करता है,समय के साथ वादला और ईसान का विमारी दुर कर रहा है। डकटरी विद्या मेँ ए एक विषय है।तंत्र को विज्ञान के नजर से देखगे तो आप का कायाकल्प कर देगा। कुछ नया करना चाहते तो तंत्र को विज्ञान के नजर से देखे ,नाकि ढगी साधुउ के नजर से देखे।सम्मोहन विद्या मेँ सफलता पाने मे तिस दिन लगता है । आप को भि ए मान ले कि कई काम एक दिन मेँ पुरा नही होगी,प्रतिदिन साधना (प्रेकटिस) करनी होगी। तंत्र मेँ वादलव करे और नया खेज करे फिर उड पायगे, जल पर चाल पायगे कुछ भी कर पायगे, लागता है ना अजिव ,साच माने सव संभाव है लेकिन इतना आसान भी नहीं है आज के समय में

विरभद्र साधना:-

भगवान वीरभद्र जो कि शिव शम्भू के अवतार हैं, उनकी पूजा-उपासना करने से बड़े-बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं, वीरभद्र, भगवान शिव के परम आज्ञाकारी हैं, उनका रूप भयंकर है, देखने में वे प्रलयाग्नि के समान प्रतीत होते हैं। उनका शरीर महान ऊंचा है,। वे एक हजार भुजाओं से युक्त हैं। वे मेघ के समान श्यामवर्ण हैं! उनके सूर्य के समान जलते हुए तीन नेत्र हैं। एवं विकराल दाढ़ें हैं और अग्नि की ज्वालाओं की तरह लाल-लाल जटाएं हैं। गले में नरमुंडों की माला तो हाथों में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र हैं! परन्तु वे भी भगवान शिव की तरह परम कल्याणकारी तथा जल्दी प्रसन्न होने वाले है! उनकी निम्नलिखित साधना पद्धति से तत्काल फल मिलता है, "वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना मंत्र" जो उनके "वीरभद्र उपासना तंत्र" से लिया गया है, एक स्वयं सिद्ध चमत्कारिक तथा तत्काल फल देने वाला मंत्र है, स्वयंसिद्ध मंत्र से तात्पर्य उन मंत्रो से होता है जिन्हे सिद्ध करने की जरुरत नहीं पड़ती, वे अपने आप में सिद्ध होते हैं, इस मंत्र के जाप से अकस्मात् आयी दुर्घटना, कष्ट, समस्या आदि से क्षण भर में निपटा जा सकता है, (उदाहरण- कार्यबाधा, हिंसक पशु कष्ट, डर! इत्यादि) ये तत्काल फल देने वाला मंत्र है, और साथ ही साथ ये बेहद तीव्र तेज वाला मंत्र है, इसे मजाक अथवा हंसी ठिठोली में कदापि नहीं लेना चाहिए, इसके द्वारा प्राप्त किये जा सकने वाले लाभ - (१). इस मंत्र के स्मरण मात्र से डर भाग जाता है, और अकस्मात् आयी बाधाओ का निवारण होता है. जब भी किसी प्रकार के कोई पशुजन्य या दूसरे तरह से प्राणहानि आशंका हो तब इस मंत्र का ७ बार जाप करना चाहिए. इस प्रयोग के लिए मात्र मंत्र याद होना ज़रुरी है. मंत्र कंठस्थ करने के बाद केवल ७ बार शुद्ध जाप करें व चमत्कार देंखे! (२). अगर इस मंत्र का एक हज़ार बार बिना रुके लगातार जाप कर लिया जाए तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति विश्व के उच्चतम स्तर तक हो जाती है तथा वह व्यक्ति परम मेधावी बन जाता है! (३). अगर इस मंत्र का बिना रुके लगातार १०,००० बार जप कर लिया जाए तो उसे त्रिकाल दृष्टि (भूत, वर्त्तमान, भविष्य का ज्ञान) की प्राप्ति हो जाती है! (४). अगर इस मंत्र का बिना रुके लगातार एक लाख बार, रुद्राक्ष की माला के साथ, लाल वस्त्र धारण करके तथा लाल आसान पर बैठकर, उत्तर दिशा की और मुख करके शुद्ध जाप कर लिया जाये, तो उस व्यक्ति को "खेचरत्व" एवं "भूचरत्व" की प्राप्ति हो जायेगी! मंत्र इस प्रकार है -ॐ हं ठ ठ ठ सैं चां ठं ठ ठ ठ ह्र: ह्रौं ह्रौं ह्रैं क्षैं क्षों क्षैं क्षं ह्रौं ह्रौं क्षैं ह्रीं स्मां ध्मां स्त्रीं सर्वेश्वरी हुं फट् स्वाहा

:ऋण मुक्ति भैरव साधना:-

: हर व्यक्ति के जीवन में ऋण एक अभिशाप है !एक वार व्यक्ति इस में फस गया तो धस्ता चला जाता है ! सूत की चिंता धीरे धीरे मष्तश पे हावी होती चली जाती है जिस का असर स्वस्थ पे होना भी स्वाभिक है ! प्रत्येक व्क्यती पे छ किस्म का ऋण होता है जिस में पित्र ऋण मार्त ऋण भूमि ऋण गुरु ऋण और भ्राता ऋण और ऋण जिसे ग्रह ऋण भी कहते है !संसारी ऋण (कर्ज )व्यक्ति की कमर तोड़ देता है मगर हजार परयत्न के बाद भी व्यक्ति छुटकारा नहीं पाता तो मेयूस हो के ख़ुदकुशी तक सोच लेता है !मैं जहां एक बहुत ही सरल अनुभूत साधना प्रयोग दे रहा हु आप निहचिंत हो कर करे बहुत जल्द आप इस अभिशाप से मुक्ति पा लेंगे ! विधि – शुभ दिन जिस दिन रवि पुष्य योग हो जा रवि वार हस्त नक्षत्र हो शूकल पक्ष हो तो इस साधना को शुरू करे वस्त्र --- लाल रंग की धोती पहन सकते है ! माला – काले हकीक की ले ! दिशा –दक्षिण ! सामग्री – भैरव यन्त्र जा चित्र और हकीक माला काले रंग की ! मंत्र संख्या – 12 माला 21 दिन करना है ! पहले गुरु पूजन कर आज्ञा ले और फिर श्री गणेश जी का पंचौपचार पूजन करे तद पहश्चांत संकल्प ले ! अपने जीवन में स्मस्थ ऋण मुक्ति के लिए यह साधना कर रहा हु हे भैरव देव मुझे ऋण मुक्ति दे !जमीन पे थोरा रेत विशा के उस उपर कुक्म से तिकोण बनाए उस में एक पलेट में स्वास्तिक लिख कर उस पे लाल रंग का फूल रखे उस पे भैरव यन्त्र की स्थापना करे उस यन्त्र का जा चित्र का पंचौपचार से पूजन करे तेल का दिया लगाए और भोग के लिए गुड रखे जा लड्डू भी रख सकते है ! मन को स्थिर रखते हुये मन ही मन ऋण मुक्ति के लिए पार्थना करे और जप शुरू करे 12 माला जप रोज करे इस प्रकार21 दिन करे साधना के बाद स्मगरी माला यन्त्र और जो पूजन किया है वोह समान जल प्रवाह कर दे साधना के दोरान रवि वार जा मंगल वार को छोटे बच्चो को मीठा भोजन आदि जरूर कराये ! शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी और कारोबार में प्रगति भी होगी ! मंत्र—ॐ ऐं क्लीम ह्रीं भम भैरवाये मम ऋणविमोचनाये महां महा धन प्रदाय क्लीम स्वाहा !!

हनुमान साधना:-

ये साधना आप किसी भी मंगलवार से आरंभ कर सकते हे । साधना सुरू करने से पहले साधना शुद्ध जल से स्नान कर के साधना के लिए लाल वस्त्र एवं लाल आसान ओर लाल रंग का ही पोशाक पहने । इस साधना मे साधक को 11 दिन मंत्र का जाप करना हे । ओर इस तरह साधक को रोज 108 मंत्र यानि रोज 1 माला मंत्र का जाप करना हे । साधना के दौरान धूप, दीप, ओर खुशबूदार अगरबत्ती जलाए ओर ये साधना रात के समय ने ही करे । मंत्र :- ओम गुरूजी हनुमानजी कावल कुंडा हाथी खप्पर छडी मसान गुग्गल धुप जाप तेरा, तेरा रूप शाकिनी बांधू डाकिनी बांधू भूत को बांधू अटल को बांधू पाताल टेकरी को बांधू हनुमानजी के रोचना को बांधू, घर घर जाओ, ना माने चार गदा लगाओ, जेसे सीता माँ के सतको राखे वैसे मेरे सतको रखो, आवो आवो हनुमान घट्ट पिंड में समाओ हनुमान, हनुमान बेठे रानी आई, गदा बेठी, राजा ये मंत्रबहुतहीशक्तिशालीहेओरइससाधनाकरनेसेसाधनाकोहरपलआपनेपासभगवानहनुमानकोअपनेपासमहसूसपाओगे।औरसाधकहनुमानजीकीकृपासेसबखतरोंसेबचजाएगीजय

सर्व सिद्धि साधना

यह साधना मेरी ही नहीं कई साधको की अनुभूत है !काफी उच कोटी के संतो से प्राप्त हुई है और फकीरो में की जाने वाली साधना है !इस के क्यी लाभ है !यह एक बहुत ही चमत्कारी साधना है ! 1 इस साधना से किसी भी अनसुलझे प्रशन का उतर जाना जा सकता है !अगर इस को सिद्ध कर लिया जाए और मात्र 5 जा 10 मिंट इस मंत्र का जप कर सो जाए जा आंखे बंद कर लेट जाए तो यह चल चित्र की तरह सभी कुश दिखा देती है ! और जो भी आपका प्रश्न है! उसका उतर दिखा देती है !क्यी वार कान में आवाज भी दे देती है जो आप जानना चाहते है ऐसा बहुत वार परखा गया है ! 2 इस साधना से किसी भी शारीरिक दर्द का इलाज किया जा सकता है !दर्द चाहे कही भी हो इस मंत्र को पढ़ते जदी कुश देर दर्द वाली जगह पे हाथ फेरा जाए तो कुश ही मिंटो में दर्द गायब हो जाता है ! 3 इस से किसी भी भूत प्रेत को शांत किया जा सकता है!इस मंत्र से बतासे अभिमंत्रिक कर रोगी को पहले एक दिया जाता है फिर दूसरा और फिर तीसरा और उस पे जो भी छाया हो वोह उसी वक़्त सवारी में हाजर हो जाती है!तब उस से पूछ लिया जाता है के उसे क्या चाहिए और कहा से आई है किस ने भेजा है आदि आदि और फिर उसे और बताशा दिया जाता है जिस से वोह शांत हो चले जाती है इस तरह बहुत वार परखा गया है! यह बहुत ही आसान साधना है भूत प्रेत भागने की और अगर देवता की क्रोपी भी हो वोह भी बता देते है के उन्हे क्या चाहिए इस का प्रयोग सिर्फ अनुभवी व्यक्ति ही करे इसका एक अलग विधान है के कैसे करना है !इस साधना को होली और फिर आने वाले ग्रहण में करे जितनी वार की जाती है इसकी ताकत बढ़ती है ! 4 जदी इसे अनुष्ठान रूप में स्वा लाख जप लिया जाए तो व्यक्ति हवा में से मन चाहा भोजन प्राप्त कर सकता है जब अनुष्ठान के रूप में की जाती है तो साधना समाप्ती पे दो आदमी प्रकट होते है जिन के हाथो में वाजे होते है जब वोह दिख जाए तो सवाल जबाब कर लेना चाहिए उस के बाद वोह शून्य में से पदार्थ प्राप्त करा देते है! हमारे संत बताते थे के इस से स्वर्ग तक की चीजे भी प्राप्त कर सकते है और हर प्रकार का स्वादिष्ट भोजन भी क्यी साधू लोग इसी के बल पे जंगल में बैठे वढ़िया भोजन प्राप्त कर लेते है ! इसका अनुष्ठान 40 दिन में सवा लाख मंत्र जप करे !अगर किसी कारण वश पहली वार सफलता न मिले तो घबराए न दुयारा करे यह अनुभूत है ! इस साधना के भूत भविष्य दर्शन की एक बेजोड़ साधना है! इस का साधक कभी भूत प्रेत के चक्र में नहीं फसता और अपनी व अपने सभी साथियो की सुरक्षा कर लेता है !इस से किसी के भी मन की बात जान सकते है और उस अपने अनुकूल बना सकते है ! और यह साधना घर से गए व्यक्ति का पता कुश ही मिंटो में लगा लेती है ! कुश ही दिन करने से इस साधना की दिव्य्य्ता का स्व पता चल जाता है ! विधि – 1 इस साधना को सफ़ेद वस्त्र धारण कर करे ! 2 आसान सफ़ेद हो ! 3 माला सफ़ेद हकीक की ले ! 4 दिशा उतर रहे ! 5 अगर होली या ग्रहण पे कर रहे है तो 11 माला कर ले ! मगर इस से पूर्ण लाभ नहीं मिलेगे सिर्फ आने वाले समय के वारे स्वपन में जानकारी मिल जाएगी और किसी प्रश्न का उतर पता लगाया जा सकता है ! 6 अगर इसे अनुष्ठान के रूप में करते है जो उपर वाले सभी लाभ मिल जाते है 7 आसन पे बैठ जाए पहले गुरु पूजन और गणेश पूजन कर फिर शिव आज्ञा और अपने सहमने एक कागज पे थोरे चावल चीनी और घी जो की गऊ का हो रख ले कागज पे बस थोरा थोरा ही डाले और मंत्र जप पूर्ण होने पर उसे किसी चोराहे पे छोड़ दे और घर आके मुह हाथ दो ले इस तरह यह साधना सिद्ध हो जाती है !अगर सवा लाख कर रहे है तो यह स्मगरी रोज भी ले सकते है और पहले जा अंतिम दिन भी ले सकते है जैसी आपकी ईशा कर ले मगर इस स्मगरी को बिना रखे साधना न करे नहीं तो शरीर मिटी के समान बेजान सा लगता है जब तक आप यह पुजा नहीं रखते ! 8 जब किसी के घर जा रहे है अगर कोई बुलाने आया है के हमारा घर देखो क्या हुया है तो इस मंत्र से कुश बतासे पढ़ कर छत पे डाल दे फिर जाए और जा 7 बतासे ले उन्हे पढ़ कर उन में से चार छत पे डाल दे बाकी तीन साथ ले जाए और रोगी को एक एक करके दे देने से वोह ठीक हो जाता है जा उस पे अगर कुश होगा तो सिर या कर बोल देगा! 9 साधना काल में शुद्ध घी का दीपक जलता रहना चाहिए और अगरवती आदि लगा दे ! 10 साधना काल में ब्रह्मचारेय का पालन अनिवार्य है !साबर मंत्र --- ॐ नमो परमात्मा मामन शरीर पई पई कुरु कुरु सवाहा !!

लक्षमी यक्षणी साधना

लक्ष्मी यक्षणी कुबेर ने धन पूर्ति के लिए जेबी महा लक्ष्मी की साधना की तो महा लक्ष्मी ने पर्सन हो कर वर मांगने को कहा तो श्री कुबेर जी ने उन्हे अपने लोक अल्का पूरी में निवास करने को कहा तो लक्ष्मी जी ने व्हा यक्षणी रूप में निवास किया और तभी से वहाँ धन की स्दह पूर्ति होती रहती है ! हर एक चाहता है उस के पास सभी सुख हो और उसे कभी किसी का मोहताज न होना पड़े जीवन में हर क्षेत्र में उच्ता मिले शरीर भी सोन्द्र्यवान हो और धन की भी प्रचुर अवस्ता में प्राप्ति हो ! इस के लिए यक्षणी साधनाए काफी महत्व पूर्ण मानी जाती है ! और उनसे भी उत्म यह है के ऐसी यक्षणी साधना हो जो जल्द सीध हो और जो सभी मनोरथ पूरे करे ! यह लक्ष्मी यक्षणी की साधना है इस एक साधना को करने से 108 यक्षणिए सिद्ध हो जाती ! और साधक की हर ईछा पूर्ण करती है ! इस साधना का विधान जटिल है फिर भी उसे आसान तरीके से दे रहा हु ! एक कटोरी में चावल संदूर चन्दन और कपूर मिश्रत कर ले और लक्ष्मी के 108 नाम से नमा लगा कर पूजन करे और लक्ष्मी के 108 नाम आप किसी भी लक्ष्मी पूजन की बूक में देख सकते है ! सुंगधित तेल का दिया लगा दे एक पात्र में कुश उपले जला के उस में गूगल और लोहवान धुखा दे सुगधित अगरवाती भी लगाई जा सकती है ! लाल कनेर से पूजन करे ! और गुरु मंत्र का एक माला जप कर के लक्ष्मी यक्षणी मंत्र का 101 माला जप करे यह कर्म 14 दिन करना है ! और साधना पूरी होने पे कनेर के फूल और घी से हवन करना है 10000 मंत्रो से ! इस प्रकार यह साधना सिद्ध हो जाती है और साधक को रसयान सिधी प्रदान करती है ! इस से साधक के जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती जैसे चाहे जितना भी खर्चे धन घर में आता ही रेहता है इस के लिए कुबेर यंत्र और श्री यंत्र का पूजन करे और कमल गट्टे की माला जा लाल चन्दन की माला का उपयोग करे ! दिशा उतर और वस्त्र पीले धारण करे ! हवन के बाद घर में बनी खीर जा मिष्ठान का भोग लगाए ! यह साधना सोमवार स्वाति नक्षत्र से शुरू करे ! मंत्र — ॐ लक्ष्मी वं श्रीं कमलधारणी हंसह सवाहा !!

पाताल क्रिया साधना

इस साधना कि कई अनुभूतिया है,और साधना भि एक दिन कि है.कई येसे रोग या बीमारिया है जिनका निवारण नहीं हो पाता ,और दवाईया भि काम नहीं करती ,येसे समय मे यह प्रयोग अति आवश्यक है.यह प्रयोग आज तक अपनी कसौटी पर हमेशा से ही खरा उतरा है .
प्रयोग सामग्री :-
एक मट्टी कि कुल्हड़ (मटका) छोटासा,सरसों का तेल ,काले तिल,सिंदूर,काला कपडा .
प्रयोग विधि :-
शनिवार के दिन श्याम को ४ या ४:३० बजे स्नान करके साधना मे प्रयुक्त हो जाये,सामने गुरुचित्र हो ,गुरुपूजन संपन्न कीजिये और गुरुमंत्र कि कम से कम ५ माला अनिवार्य है.गुरूजी के समक्ष अपनी रोग बाधा कि मुक्ति कि लिए प्रार्थना कीजिये.मट्टी कि कुल्हड़ मे सरसों कि तेल को भर दीजिये,उसी तेल मे ८ काले तिल डाल दीजिये.और काले कपडे से कुल्हड़ कि मुह को बंद कर दीजिये.अब ३६ अक्षर वाली बगलामुखी मंत्र कि १ माला जाप कीजिये.और कुल्हड़ के उप्पर थोडा सा सिंदूर डाल दीजिये.और माँ बगलामुखी से भि रोग बाधा मुक्ति कि प्रार्थना कीजिये.और एक माला बगलामुखी रोग बाधा मुक्ति मंत्र कीजिये.
मंत्र :-
|| ओम ह्लीम् श्रीं ह्लीम् रोग बाधा नाशय नाशय फट ||
मंत्र जाप समाप्ति के बाद कुल्हड़ को जमींन गाड दीजिये,गड्डा प्रयोग से पहिले ही खोद के रख दीजिये.और ये प्रयोग किसी और के लिए कर रहे है तो उस बीमार व्यक्ति से कुल्हड़ को स्पर्श करवाते हुये कुल्हड़ को जमींन मे गाड दीजिये.और प्रार्थना भि बीमार व्यक्ति के लिए ही करनी है.चाहे व्यक्ति कोमा मे भि क्यों न हो ७ घंटे के अंदर ही उसे राहत मिलनी शुरू हो जाती है.कुछ परिस्थितियों मे एक शनिवार मे अनुभूतिया कम हो तो यह प्रयोग आगे भि किसी शनिवार कर सकते है.

भैरव साधना

मंत्र-:ॐ नमो भैंरुनाथ, काली का पुत्र! हाजिर होके, तुम मेरा कारज करो तुरत। कमर
बिराज मस्तङ्गा लँगोट, घूँघर-माल। हाथ बिराज डमरु खप्पर त्रिशूल। मस्तक
बिराज तिलक सिन्दूर। शीश बिराज जटा-जूट, गल बिराज नोद जनेऊ। ॐ नमो
भैंरुनाथ, काली का पुत्र ! हाजिर होके तुम मेरा कारज करो तुरत। नित उठ करो
आदेश-आदेश।”
विधिः पञ्चोपचार से पूजन। रविवार से शुरु करके २१ दिन तक मृत्तिका की
मणियों की माला से नित्य अट्ठाइस (२८) जप करे। भोग में गुड़ व तेल का शीरा
तथा उड़द का दही-बड़ा चढ़ाए और पूजा-जप के बाद उसे काले श्वान को खिलाए। यह
प्रयोग किसी अटके हुए कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु है।

कालि साधना
“डण्ड
भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड। खगर दिखा
खप्पर लियां, खड़ी कालका। तागड़दे मस्तङ्ग, तिलक मागरदे मस्तङ्ग। चोला जरी
का, फागड़ दीफू, गले फुल-माल, जय जय जयन्त। जय आदि-शक्ति। जय कालका
खपर-धनी। जय मचकुट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी। जय-जय चुण्ड-मुण्ड
भण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी। जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव
राजेश्वरी। अमृत-यज्ञ धागी-धृट, दृवड़ दृवड़नी। बड़ रवि डर-डरनी ॐ ॐ ॐ।।”
विधि - नवरात्रों में प्रतिपदा से नवमी तक घृत का दीपक प्रज्वलित रखते हुए
अगर-बत्ती जलाकर प्रातः-सायं उक्त मन्त्र का ४०-४० जप करे। कम या ज्यादा न
करे। जगदम्बा के दर्शन होते हैं।

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💯✔ #लाखो_मंत्र_जपे_पर_लाभ_कुछ_नहीं #समय_श्रम_दोनों_बर्बाद

   आज के समय में साधकों की बाढ़ आई हुई है ,#ज्योतिषियों की बाढ़ आई हुई है |#ज्योतिषी सलाह देता है ,अमुक मंत्र इतना संख्या में जपो ,अमुक पूजा करो ,आपकी समस्या हल हो जायेगी |उसके बारे में बताया कुछ नहीं की कैसे करें ,पद्धति-तरीका क्या हो ,बस जप लो |आधे को तो खुद पता नहीं होता ,कुछ को पता होता है तो समय बचाने के लिए बस #मंत्र बता कर छुट्टी कर लेते हैं |#मंत्र जपने वाल दुगुना जप लेता है पर उसे कोई परिणाम समझ नहीं आता ,तो वह सोचता है की #ज्योतिषी सही नहीं ,#पूजा -#मंत्र #जप से कुछ नहीं होता |उसकी गलती भी नहीं होती |उसे जितना पता होता है वह करता तो है ही |

           ऐसा ही नवागंतुक साधकों के साथ होता है ,#तंत्र अथवा #मंत्र -#यन्त्र के क्षेत्र में अधिकतर आते हैं शक्ति पाने ,चमत्कार करने के #लालच में ,कुछ अपनी समस्या दूर करने चक्कर में और कुछ वास्तव में मुक्ति की इच्छा से ,पर ९९ प्रतिशत को अपेक्षित सफलता नहीं मिलती |कारण सही पद्धति -सही ज्ञान -सही तरीका नहीं पता |या तो किताब से कुछ करने का प्रयास करते हैं या अधकचरे ज्ञान वाले गुरुओं के चक्कर में पड़ जाते हैं जिन्हें या तो खुद कुछ आता नहीं या एकाध मंत्र अपने गुरु से पाकर कुछ सिद्धियाँ करके #गुरु बन बैठते हैं |साधक बेचारे क्या करेंगे जब #गुरु ही उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं दे पाता |गुरु जी को मंत्र का विज्ञान पता ही नहीं है |कैसे काम करता है ,कहाँ किस मंत्र का क्या प्रभाव होता है |कैसे इसकी ऊर्जा साधक तक आती है ,कहाँ से आती है |कैसे इस ऊर्जा को प्राप्त किया जाए |कैसे #मंत्र को जपा जाए |कैसे उसका उच्चारण हो |कहाँ आरोह अवरोह हो |कहाँ नाद हो |किस #मंत्र को करने में कितना समय लें |आदि आदि

           अधिकतर व्यक्ति या साधक #मंत्र जप करते समय जप की संख्या पर ध्यान देते हैं |अधिकतर का ध्यान होता है की इतनी संख्या करनी है या इतनी संख्या करेंगे तो इतने दिन में इतना हो जाएगा और साधना या अनुष्ठान या संकल्प पूरा हो जाएगा |रेट रटाये ढंग से जल्दबाजी में #मंत्र जप करते हैं ,करते रोज हैं और निश्चित संख्या के दिनों तक भी करते हैं पर जब कर चुकते हैं  तो परिणाम की प्रतीक्षा करते हैं पर समझ में कुछ नहीं आता |अब उनमे #अविश्वास जन्म लेता है की किया तो इतना दिन ,इतनी तपस्या की कुछ नहीं हुआ ,#मंत्र #जप #पूजा आदि से कुछ नहीं होता जो भाग्य में लिखा है वही होता है |आदि आदि |

लोग यह #ध्यान नहीं देते की वह जिस मंत्र का जप कर रहे हैं वह सही है की नहीं ,#शुद्ध है की नहीं ,सही लक्ष्य के लिए सही मंत्र है की नहीं |मंत्र का उच्चारण क्या होना चाहिए ,मंत्र कितने समय में होना चाहिए या कितना लम्बा या किस स्वर  में होना चाहिए |इसका समय क्या होना चाहिए |आदि |अधिकतर का #ध्यान मंत्र जप के समय कहीं और घूमता रहता है |अधिकतर जल्दबाजी में होते हैं की कब जप पूरा हो और अमुक कार्य किया जाए |जैसे साधना -पूजा न कर रहे हों एक जिम्मेदारी पूरी कर रहे हों |देवता या ईष्ट की ओर #ध्यान एकाग्र होता ही नहीं |भावहीनता में होते हैं ,एकमात्र अपना लक्ष्य दिखाई देता है |देवता से मानसिक जुड़ाव हुआ ही नहीं होता |परिणाम होता है की प्रकृति की सम्बंधित ऊर्जा मंत्र के द्वारा व्यक्ति से जुड़ पाती ही नहीं |#देवता को मंत्र सुनाई देता ही नहीं |मंत्र जप मात्र रटने से ,बिना नाद के जपने से उसमे कोई ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती ,वह आपके ही चक्रों को आंदोलित नहीं करता तो प्रकृति की ऊर्जा से क्या जुड़ पायेगा और उन्हें आकर्षित कर पायेगा |यहाँ तक की शाबर मन्त्र जिनमे न अर्थ होते हैं न नाद वह भी बिना भाव के काम नहीं करते |बिना भाव और आत्मबल के आप शाबर मंत्र भी रटेंगे तो आपको परिणाम मुश्किल है मिलना |

         ध्यान दीजिये हर मंत्र की एक #विशिष्ट_नाद होती है ,विशिष्ट उच्चारण होता है ,विशिष्ट देवता होते हैं |#विशिष्ट_मंत्र का #विशिष्ट_चक्र से सम्बन्ध होता है |विशिष्ट मंत्र प्रकृति के विशिष्ट प्रकार की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है और उसे #आकर्षित करता है ,साधक या मंत्र जपने वाले से जोड़ता है |अतः उसका पाठ उसी तरह के भाव ,नाद ,उच्चारण के साथ होना चाहिए |आपका मानसिक तारतम्य सम्बंधित शक्ति और मंत्र की ऊर्जा से बना होना चाहिए |नहीं तो वह अगर आकर्षित हो भी गई तो आपसे जुड़ नहीं पाएगी और वातावरण में पुनः बिखर जायेगी |महत्त्व #मंत्र की संख्या जपने का नहीं होता ,सही उच्चारण ,सही नाद का होता है |सही भाव का होता है ,सही भावना का होता है |सही तरीके और पद्धति का होता है |सही समय का होता है .एकाग्रता का होता है |अगर यह सब नहीं है तो आप कई लाख भी जप कर लीजिये आपको परिणाम मिलना मुश्किल है |#मंत्र असंदिग्ध रूप से काम करते हैं बशर्ते आप सही ढंग से उन्हें जप सकें |अगर रटंत जप करेंगे तो कुछ नहीं मिलेगा ,इससे तो अच्छा होगा की आप कोई जप न करो और केवल सम्बंधित देवता के रूप -गुण -भाव में ही डूबिये आपको जरुर लाभ मिलेगा |अगर मंत्र कर रहे हैं तो ढंग से कीजिये |

          सवा लाख ,लाखों लाख या निश्चित संख्या में जप करना कोई मायने नहीं रखता |आप कुछ हजार ही जप कर लीजिये और सही ढंग से कर लीजिये तो आपको लाखों लाख से अधिक लाभ हो जाएगा |उदाहरण के लिए #ॐ का जप कुछ लोग करते हैं ,अधिकतर #ॐ को मंत्र के आगे लगाते हैं |पर बहुत कम को पता है की अगर #ॐ का सही ढंग से जप कर दिया जाए तो दीवार टूट जाती है ,यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चूका है |हम क्या करते हैं #ॐ को लगाया या #ॐ #ॐ करते चले गए ,न नाद न समयांतराल न उच्चारण न गूँज किसी पर ध्यान नहीं दिया |#ऊर्जा उत्पन्न हुई ही नहीं ,आपके चक्र को आन्दोलित की ही नहीं |प्रकृति की ऊर्जा से जुडी ही नहीं तो लाभ क्या होगा |#ॐ का जप जब भी हो एक गूँज पैदा होनी चाहिए ,जो आपको और वातावरण को गुंजित करें |इसकी गूँज ह्रदय में गुंजित होनी चाहिए |तभी यह आंदोलित करेगा आपके सम्बंधित #चक्र को और वहां से तरंग उत्पादन बढ़ेगा और वातावरण की #ऊर्जा को आकर्षित करेगा |ऐसा ही सभी #मन्त्रों में है |अगर ऐसा न होता तो अलग बीज और #बिन्दुओं का प्रयोग क्यों होता |हर बीज का हर मंत्र का अपना उच्चारण ,नाद है उसे उसी ढंग से किया जाना चाहिए |सही ढंग से कर दीजिये कुछ हजार में आपको लाभ मिल जाएगा |रोज हजारों जप मत कीजिये कुछ सौ कीजिये पर आराम से धीरे धीरे पूरी एकाग्रता ,#ध्यान ,#भाव ,#नाद ,#उच्चारण से कीजिये #देवता प्रसन्न हो जाएगा |



आचार्य मनोज तिवारी
सहसेपुर खमरिया भदोही
9005618107

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