गुरुवार, 4 जून 2020

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जप विधि

सशंखचक्रं सकिरीटकुण्डलं सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणं। संहार वक्षं स्थलकौस्तुभश्रियं नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजं।।
मूल मंत्रः- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।
विनियोग : अस्य श्रीद्वादशाक्षर श्रीकृष्णमंत्रस्य नारद ऋषि गायत्रीछंदः श्रीकृष्णोदेवता, बीजं नमः शक्ति, सर्वार्थसिद्धये जपे विनियोगः। 
ऋष्यादि न्यास पंचांग न्यास नारदाय ऋषभे नमः शिरसि। हृदयाय नमः। गायत्रीछन्दसे नमःमुखे। नमो शिरसे स्वाहा। श्री कृष्ण देवतायै नमः, हृदि भगवते शिखायै वषट्। बीजाय नमः गुह्ये। वासुदेवाय कवचाय हुम्। नमः शक्तये नमः, पादयोः। नमो भगवते वासुदेवाय अस्त्राय फट्।'
 मन्त्र : ''ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय'' इस मन्त्र का बारह लाख जप करने से पुरश्चरण होता है। जप का दशांश हवन हवन का दशांश तर्पण तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तब जाकर मंत्र प्रभावी होता है।
 दाम्पत्य जीवन एवं परिवारिक माहौल सुखमय रहता है। इस मन्त्र का नियमित जप करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। गुरू—मुख से दीक्षा लेकर भगवान विष्णु के स्वरूप का ध्यान करके पूजन व जप करना शुभ होता है। पुराणों कहा जाता है। कि जिस भगवान के मंत्र का आप जप कर रहे है जप करते समय उनके स्वरूप का ध्यान करना चहिए अन्यथा उस जप का फल नहीं मिलता है। मंत्र के विधान तो और वृहद हैं । पर संक्षिप्त में इस विधि से भी जप किया जा सकता है।
🚩🌺 जय माई की 🌺🚩
आचार्य मनोज तिवारी
सहसेपुर खमरिया भदोही
9005618107

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