सोमवार, 10 अगस्त 2020

बजरंग बाण से सिद्ध चमत्कारी उपाय

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पवनपुत्र और श्रीराम के परम सेवक हनुमान जी से अगर कोई वरदान पाना हो तो आपको इसके लिए सबसे पहले श्रीराम का नाम लेना होगा। अगर इतने से भी काम न बने तो आप हनुमान जी को श्रीराम के नाम की सौगंध दे दीजिये। बस फिर देखिये की कैसे नहीं बनते आपके बिगड़े काम। आपके जीवन की 8 ऐसी समस्याओं की जिनका समाधान सिर्फ और सिर्फ बजरंगबाण के पास ही है। बस इसके लिए आपको अलग-अलग तरीके से बजरंगबाण का पाठ करना होगा।     
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1)― बजरंगबाण से विवाह बाधा खत्म―
कदली वन, या कदली वृक्ष के नीचे बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह की बाधा खत्म हो जाती है। यहां तक कि तलाक जैसे कुयोग भी टलते हैं बजरंग बाण के पाठ से।
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2)― बजरंग बाण से ग्रहदोष समाप्त― अगर किसी प्रकार के ग्रहदोष से पीड़ित हों, तो प्रात:काल बजरंग बाण का पाठ, आटे के दीप में लाल बत्ती जलाकर करें। ऐसा करने से बड़े से बड़ा ग्रह दोष पल भर में टल जायेगा।
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3)― साढ़ेसाती-राहु से नुकसान की भरपाई― अगर शनि, राहु, केतु जैसे क्रूर ग्रहों की दशा, महादशा चल रही हो तो उड़द दाल के 21 या 51 बड़े एक धागे में माला बनाकर चढ़ायें। सारे बड़े प्रसाद के रुप में बांट दें। आपको तिल के तेल का दीपक जलाकर सिर्फ 3 बार बजरंगबाण का पाठ करना होगा।
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4)― बजरंगबाण से कारागार से मुक्ति― अगर किसी कारणवश जेल जाने के योग बन रहे हों, या फिर कोई संबंधी जेल में बंद हो तो उसे मुक्त कराने के लिए हनुमान जी की पूंछ पर सिंदूर से 11 टीका लगाकर 11 बार बजरंग बाण पढ़ने से कारागार योग से मुक्ति मिल जाती है। अगर आप हनुमान जी को 11 गुलाब चढ़ाते हैं या फिर चमेली के तेल में 11 लाल बत्ती के दीपक जलाते हैं तो बड़े से बड़े कोर्ट केस में भी आपको जीत मिल जायेगी।
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5)― सर्जरी और गंभीर बीमारी टाले बजरंग बाण― कई बार पेट की गंभीर बीमारी जैसे लीवर में खराबी, पेट में अल्सर या कैंसर जैसे रोग हो जाते हैं, ऐसे रोग अशुभ मंगल की वजह से होते हैं। अगर इस तरह के रोग से मुक्ति पानी हो तो हनुमान जी को 21 पान के पत्ते की माला चढ़ाते हुए 5 बार बजरंग बाण पढ़ना चाहिये। ध्यान रहे कि बजरंगबाण का पाठ राहुकाल में ही करें। पाठ के समय घी का दीप ज़रुर जलायें।
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6)― छूटी नौकरी दोबारा दिलाए बजरंग बाण― अगर नौकरी छूटने का डर हो या छूटी हुई नौकरी दोबारा पानी हो तो बजरंगबाण का पाठ रात में नक्षत्र दर्शन करने के बाद करें। इसके लिए आपको मंगलवार का व्रत भी रखना होगा। अगर आप हनुमान जी को नारियल चढ़ाने के बाद, उसे लाल कपड़े में लपेट कर घर के आग्नेय कोण रखते हैं तो मालिक स्वयं आपको नौकरी देने आ सकता है।
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7)― वास्तुदोष दूर करे बजरंगबाण― कई बार घर में वास्तुदोष के चलते कई समस्या हो जाती है। तो घर में वास्तुदोष दूर करने के लिए 3 बार बजरंगबाण का  पाठ करना चाहिए। हनुमान जी को लाल झंडा चढ़ाने के बाद उसे घर के दक्षिण दिशा में लगाने से भी वास्तुदोष से मुक्ति मिलती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा घर के मुख्य द्वार पर लगायें।
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8)― बजरंग बाण से दवा असर करे― कई बार गंभीर बीमारी में दवा फायदा नहीं करती। दवा फायदा करे इसके लिए 2 बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। साथ ही साथ संजीवनी पर्वत की रंगोली बनाकर उस पर तुलती के 11 दल चढ़ाने से दवा धीरे धीरे असर करने  लगती है।
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रात्रि में बजरंग बाण पाठ करने की विधि―
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आज के समय में हर मनुष्य किसी न किसी परेशानी से घिरा हुआ है। हर समाधान के बाद भी उसे कोई हल नही मिलता। पूजा-पाठ करने के बाद भी अभिष्ठ फल की प्राप्ति नही हो पाती है। पूजा-पाठ की भी एक विधि होती है अगर पूजा-पाठ विधि अनुसार नही की जाती है तो उसका फल आपको मिलता तो है किन्तु बहुत प्रयत्न के बाद मिलता है।
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आज हम आपको हनुमान जी के बजरंग बाण के रात्रि में किये जाने वाले पाठ के विषय में बता रहे है। वैसे तो बजरंग बाण का नियमित रूप से पाठ आपको हर संकट से दूर रखता है। किन्तु अगर रात्रि में बजरंग बाण को इस प्रकार से सिद्ध किया जाये तो इसके चमत्कारी प्रभाव तुरंत ही आपके सामने आने लगते है। अगर आप चाहते है अपने शत्रु को परास्त करना या फिर व्यापर में उन्नति या किसी भी प्रकार के अटके हुए कार्य में पूर्णता तो रात्रि में बजरंग बाण पाठ को अवश्य करें।
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विधि इस प्रकार है―
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किसी भी मंगलवार को रात्रि का 11 से रात्रि 1 बजे तक का समय सुनिश्चित कर ले। बजरंग बाण का पाठ आपको 11 से रात्रि 1 तक करना है। सबसे पहले आप एक चौकी को पूर्व दिशा की तरफ स्थापित करें अब इस चौकी पर एक पीला कपडा बिछा दे। अब आप इस मंत्र को एक कागज पर लिख कर इसे फोल्ड करके इस चौकी पर रख दे। मंत्र इस प्रकार है―
“ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्”
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अब आप चौकी के दायें तरफ एक मिटटी के दिए में घी का दीपक जला दे। आपको इस चौकी के सामने आसन पर बैठ जाना है। इस प्रकार आपका मुख पूर्व दिशा कर तरफ हो जायेगा और दीपक आपके बाएं तरफ होगा। अब आप परमपिता परमेश्वर का ध्यान करते हुए इस प्रकार बोले― हे परमपिता परमेश्वर मै (अपना नाम बोले) गोत्र (अपना गोत्र बोले) आपकी कृपा से बजरंग बाण का यह पाठ कर रहा हु इसमें मुझे पूर्णता प्रदान करें। अब आप ठीक 11 बजते ही इस मंत्र का जाप शुरू कर दे “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” इस मंत्र को आप 5 मिनट तक जाप करें, ध्यान रहे मंत्र में जहाँ पर फट शब्द आता है वहा आप फट बोलने के साथ-साथ  2 उँगलियों से दुसरे हाथ की हथेली पर ताली बजानी है।
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अब आप 11 बजकर 5 मिनट से और रात्रि 1 बजे तक लगातार बजरंग बाण का पाठ करना प्रारंभ कर दे। ध्यान रहे बजरंग बाण पाठ आपको याद होना चाहिए। किताब से पढ़कर बिलकुल न करें।  जैसे ही 1 बजता है आप बजरंग बाण के पाठ को पूरा कर अब आप फिर से इस मंत्र “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” का जाप 5 मिनट तक करें। अब आप कागज पर लिखे हुए मंत्र को जला दे। इस प्रकार आपका यह बजरंग बाण का पाठ एक ही रात्रि में सिद्ध हो जाता है।
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इस प्रकार सिद्ध किया गया यह बजरंग बाण पाठ आपके जीवन में चमत्कारिक प्रभाव दिखता है।
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―बजरंग बाण का पाठ―
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जय श्री राम
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।। दोहा ।।
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निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करे सन्मान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान।।
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।। चौपाई ।।
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जय हनुमन्त सन्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।१।।
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जन के काज विलम्ब न कीजै।
आतुर दौरि महा सुख दीजै।।२।।
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जैसे कूदि सिन्धु के पारा।
सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।३।।
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आगे जाई लंकिनी रोका।
मारेहु लात गई सुर लोका।।४।।
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जाय विभीषण को सुख दीन्हा।
सीता निरखि परम पद लीन्हा।।५।।
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बाग उजारि सिन्धु महं बोरा।
अति आतुर जमकातर तोरा।।६।।
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अक्षय कुमार मारि संहारा।
लूम लपेट लंक को जारा।।७।।
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लाह समान लंक जरि गई।
जय जय धुनि सुरपुर में भई।।८।।
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अब विलम्ब केहि कारण स्वामी।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।९।।
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जय जय लखन प्राण के दाता।
आतुर होय दुःख हरहु निपाता।।१०।।
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जय गिरिधर जय जय सुखसागर।
सुर समूह समरथ भटनागर।।११।।
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ॐ हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले।
बैरिहि मारु बज्र की कीले।।१२।।
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गदा बज्र लै बैरिहि मारो।
महाराज निज दास उबारो।।१३।।
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सुनि पुकार हुंकार देय धावो।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।१४।।
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ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।१५।।
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सत्य होहु हरि शपथ पाय के।
रामदूत धरु मारु जाय के।।१६।।
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जय जय जय हनुमन्त अगाधा।
दुःख पावत जन केहि अपराधा।।१७।।
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पूजा जप तप नेम अचारा।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।१८।।
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वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।१९।।
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पांय परों कर जोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।२०।।
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जय अंजनि कुमार बलवन्ता।
शंकर सुवन बीर हनुमन्ता।।२१।।
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बदन कराल काल कुल घालक।
राम सहाय सदा प्रति पालक।।२२।।
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भूत प्रेत पिशाच निशाचर।
अग्नि बेताल काल मारी मर।।२३।।
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इन्हें मारु तोहि शपथ राम की।
राखु नाथ मरजाद नाम की।।२४।।
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जनकसुता हरि दास कहावो।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।२५।।
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जय जय जय धुनि होत अकाशा।
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।२६।।
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चरण पकर, कर जोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।२७।।
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उठु उठु उठु चलु राम दुहाई।
पांय परों, कर जोरि मनाई।।२८।।
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ॐ चं चं चं चं चं चपल चलन्ता।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।२९।।
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ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल।
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।३०।।
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अपने जन को तुरत उबारो।
सुमिरत होय आनन्द हमारो।।३१।।
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ताते बिनती करौं पुकारी।
हरहु सकल दुःख विपत्ति हमारी।।३२।।
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परम प्रबल प्रभाव प्रभु तोरा।
कस न हरहु अब संकट मोरा।।३३।।
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हे बजरंग ! बाण सम धावौ।
मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।३४।।
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हे कपिराज काज कब ऐहौ।
अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।३५।।
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जन की लाज जात एहि बारा।
धावहु हे कपि पवन कुमारा।।३६।।
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जयति जयति जय जय हनुमाना।
जयति जयति गुन ज्ञान निधाना।।३७।।
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जयति जयति जय जय कपि राई।
जयति जयति जय जय सुख दाई।।३८।।
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जयति जयति जय, राम पियारे।
जयति जयति जय, सिया दुलारे।।३९।।
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जयति जयति मुद मंगल दाता।
जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।४०।।
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एहि प्रकार गावत गुण शेषा।
पावत पार नहीं लव लेसा।।४१।।
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राम रूप सर्वत्र समाना।
देखत रहत सदा हर्षाना।।४२।।
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विधि सारदा सहित दिन राती।
गावत कपि के गुन बहु भांती।।४३।।
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तुम सम नहीं जगत में बलवाना।
करि विचार देखउं विधि नाना।।४४।।
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यह जिय जानि सरन हम आये।
ताते विनय करौं मन लाये।।४५।।
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सुनि कपि आरत बचन हमारे।
हरहु सकल दुःख सोच हमारे।।४६।।
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एहि प्रकार विनती कपि केरी।
जो जन करै, लहै सुख ढेरी।।४७।।
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याके पढ़त बीर हनुमाना।
धावत बान तुल्य बलवाना।।४८।।
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मेटत आय दुःख छिन माहीं।
दै दर्शन रघुपति ढिंग जाहीं।।४९।।
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डीठ मूठ टोनादिक नासै।
पर कृत यन्त्र मन्त्र नहिं त्रासै।।५०।।
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भैरवादि सुर करै मिताई।
आयसु मानि करै सेवकाई।।५१।।
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आवृत ग्यारह प्रति दिन जापै।
ताकी छांह काल नहिं व्यापै।।५२।।
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शत्रु समूह मिटै सब आपै।
देखत ताहि सुरासुर कांपै।।५३।।
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तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई।
रहै सदा कपिराज सहाई।।५४।।
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यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कौन उबारै।।५५।
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पाठ करै बजरंग बाण की।
हनुमत रक्षा करै प्राण की।।५६।।
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यह बजरंग बाण जो जापै।
ताते भूत प्रेत सब कांपै।।५७।।
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धूप देय अरु जपै हमेशा।
ताके तन नहिं रहै कलेशा।।५८।।
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।। दोहा ।।
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उर प्रतीति दृढ सरन हवै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करै सब काज सफल हनुमान।।
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प्रेम प्रतीतिहि कपि भजे, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान।।
जय श्री राम🌹

आचार्य मनोज तिवारी
सहसेपुर खमरिया भदोही