🔸बचपन से हमे सुनने में आता है कि उसके ऊपर भूत आ गया है या उसको प्रेत ने पकड़ लिया है जिसके कारण उसके घर वाले बहुत परेशान हैं.
🔸उसे संभाल ही नहीं पा रहे हैं.
🔸तान्त्रिक, मौलवी या ओझा के पास जाकर भी कुछ नहीं हुआ है.
🔸समझ नहीं आता है क्या करें
🔸ज्योतिष द्वारा कैसे जाने की भूत-प्रेत बाधा है या नहीं
🔸आप अपनी या किसी की कुण्डली देखें और यदि ये योग उसमें विद्यमान हैं तो समझ लें कि जातक या जातिका भूत-प्रेत बाधा से परेशान है.
🔻क्या होते है कुंडली में भूत प्रेत बाधा के योग :
🔸यदि किसी जातक की कुण्डली के पहले भाव में चन्द्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर ग्रह स्थित हों. इस योग के होने पर जातक या जातिका पर भूत-प्रेत, पिशाच या गन्दी आत्माओं का प्रकोप शीघ्र होता है. यदि गोचर में भी यही स्थिति हो तो अवश्य ऊपरी बाधाएं तंग करती हैं.
🔸यदि किसी जातक की कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी भूत-प्रेत बाधा या पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते हैं.
🔸यदि किसी जातक की कुण्डली में शनि-मंगल-राहु की युति हो तो उसे भी ऊपरी बाधा, प्रेत, पिशाच या भूत बाधा तंग करती है. उक्त योगों में दशा-अर्न्तदशा में भी ये ग्रह आते हों और गोचर में भी इन योगों की उपस्थिति हो तो समझ लें कि जातक या जातिका इस कष्ट से अवश्य परेशान है.
🔸भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है. इनकी विभिन्न जातियां होती हैं और उन्हें भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है. ज्योतिष के अनुसार राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा हो और चंद्र दशापति राहु से भाव 6 8या 12 में बलहीन हो, तो व्यक्ति पिशाच दोष से ग्रस्त होता है.
🔸वास्तुशास्त्र में भी उल्लेख है कि पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति या भरणी नक्षत्र में शनि के स्थित होने पर शनिवार को गृह-निर्माण आरंभ नहीं करना चाहिए, अन्यथा वह घर राक्षसों, भूतों और पिशाचों से ग्रस्त हो जाएगा.
किसी भी प्रकार के समस्या के निराकरण हेतु सम्पर्क करें।
आचार्य मनोज तिवारी
सहसेपुर खमरिया भदोही
9005618107
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